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      #बंद_करो_JNU #shut_jnu: फ़ेसबुक ग्रूप फैला रहा है महिलाओं के प्रति घृणा और झूठ

      अधिकतर पोस्ट में छात्रों को मुफ़्तखोर और आश्रित बताया जा रहा है | महिलाओं के प्रति फैलाया जा रहा है द्वेष और झूठ

      By - Karen Rebelo |
      Published -  25 Nov 2019 6:07 PM IST
    • JNU Misogynist posts-Fake news

      '#बंद_करो_JNU #shut_jnu' नामक एक फ़ेसबुक ग्रूप जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों के विरोध प्रदर्शन का समर्थन नहीं करने वालों को एक मंच प्रदान कर रहा है, जहां वे महिलाओं को निशाना बनाते हुए और ग़लत सूचनाओं वाली पोस्ट के माध्यम से अपनी अस्वीकृति को हवा दे रहे हैं ।

      इस कहानी को लिखे जाने तक, अनिल श्रीवास्तव नामक शख़्स द्वारा 17 नवंबर, 2019 को बनाए गए ग्रूप में 258 सदस्य थे । पिछले 30 दिनों में इसके सदस्यों - जिनमें से अधिकांश पुरुष हैं - ने छात्र विरोधी 444 पोस्ट किये हैं ।

      पोस्टों में युवा लोगों को चूमने, प्रदर्शनकारियों की पिटाई, शराब या कंडोम के साथ महिलाओं की बिना सोची समझी तस्वीरें, छात्रों की उम्र के बारे में फ़र्ज़ी पोस्ट और ग्रूप के एडमिन द्वारा गुस्से और निंदा भरे पोस्ट शामिल हैं ।

      Description of the group Bandh Karo JNU
      ( बंद करो जेएनयू ग्रूप का विवरण )

      विश्वविद्यालय के छात्र अक्टूबर के अंत से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं । उनकी मांग है कि ड्राफ्ट हॉस्टल मैनुअल को पूरी तरह से वापस लिया जाए, जिसमें छात्रावास शुल्क वृद्धि और ड्रेस कोड और कर्फ्यू के समय में बदलाव का प्रस्ताव दिया गया है । विरोध प्रदर्शन के बारे में ज्यादा जानने के लिए यहां क्लिक करें ।

      विरोध प्रदर्शनों को ऑनलाइन मजबूत प्रतिक्रिया मिली है । विश्वविद्यालय ने अपनी छवि, उदारवादी वामपंथी की असंतोषपूर्ण आवाज कों बढ़ावा देने वाले संस्था के रुप में बना ली है ।

      यहाँ के पूर्व छात्र राजनैतिक स्पेक्ट्रम में फैले हैं, जैसे नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत, कन्हैया कुमार और शेहला राशिद जैसे युवा राजनेता ।

      हालांकि, विश्वविद्यालय के आलोचकों ( मुख्य रूप से हिंदुत्व दक्षिणपंथी ) ने इसे हमेशा कम्युनिस्टों और अलगाववादियों को बनाने वाली संस्था के रूप में देखा है, जो अक्सर इसके छात्रों को 'टुकड़े टुकड़े गैंग' और 'शहरी नक्सलियों' जैसे नामों के साथ पुकारते हैं ।

      विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा के साथ छेड़छाड़ किए जाने पर विरोध प्रदर्शन ने और विकट मोड़ ले लिया । 18 नवंबर, 2019 को ग़लत सूचना ने आग में घी का काम किया, जब दिल्ली पुलिस ने अपनी मांगों को लेकर संसद की ओर मार्च कर रहे छात्रों पर लाठीचार्ज किया ।

      अधिकतर पोस्ट में छात्रों को मुफ़्तखोर और आश्रित बताया जा रहा है | महिलाओं को चरित्रहीन कहते हुए झूठ और द्वेष का निशाना बनाया जा रहा है, सोशल मीडिया पर इस ग्रुप ने महिलाओं विशेष तौर पर निशाना बनाया है |

      '#बंद_करो_JNU #shut_jnu' ग्रूप पर लगभग सभी पोस्ट का आधार यही है ।

      एक अपमानजनक कैप्शन के साथ, एक महिला की उत्तेजक फ़ोटो पोस्ट की गई है जिसमें वह कंडोम में एक दिल के आकार के स्ट्रॉ के साथ नज़र आ रही हैं । फ़ोटो की खोज से पता चलता है कि यह जेएनयू से संबंधित नहीं है और विभिन्न 'निम्न स्तर' की वेबसाइटों पर पाया जा सकता है ।

      बिना कैप्शन के साथ एक अन्य तस्वीर में एक महिला को शराब और सिगरेट के साथ दिखाया गया है । रिवर्स इमेज सर्च से पता चलता है कि तस्वीर सबसे पहले 2015 में ऑनलाइन नज़र आई थी । इसके अलावा, ऐसी कोई जानकारी मौजूद नहीं है जिससे पता चले कि यह तस्वीर जेएनयू से संबंधित है । तस्वीर के बारे में यहां और पढ़ें ।

      महिलाओं के विरोध में पोस्ट्स, ग़लत सूचना का प्रसारण

      मई 2019 में पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के यौन उत्पीड़न के आरोपों से बरी किए जाने के विरोध के दौरान सीपीआई राजनेता और महिलाओं के अधिकार के लिए काम करने वाली कार्यकर्ता एनी राजा को पुलिस हिरासत में ले जाने की एक तस्वीर ग़लत दावों के साथ फैलाई गई । दावा किया गया कि यह गिरफ़्तार होने वाली छात्रा की तस्वीर है । बूम का फ़ैक्टचेक यहां पढ़ें ।

      30 वर्षीय जेएनयू में एमफिल कर रहे छात्र पंकज कुमार मिश्रा की एक तस्वीर को 47 वर्षीय मोइनुद्दीन के रूप में ग़लत तरीके से शेयर किया गया । बूम का फ़ैक्टचेक यहां पढ़ें ।

      ग्रूप ने कन्हैया कुमार की एक फ़ोटोशॉप्ड तस्वीर भी शेयर की, जो जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष हैं । फ़ोटोशॉप्ड तस्वीर में कन्हैया कुछ बोलते हुए नज़र आ रहे हैं जबकि बैकग्राउंड में मैप है जिसमें कश्मीर को पाकिस्तान के एक हिस्से के रूप में दिखाया गया है । फ़ैक्टचेक यहां पढ़ें ।

      Photoshopped photo of Kanhaiya Kumar
      कन्हैया कुमार की फ़ोटोशॉप्ड तस्वीर

      ग्रूप के पोस्टों का उदेश्य मुख्य रुप से यह धारणा बनाना है कि विश्वविद्यालय के छात्र स्वच्छंद और विवेकहीन हैं ।

      Screenshot of JNU collage

      अतीत की वास्तविक घटनाएं, जैसे 2011 में कैंपस में शूट किया गया एक अश्लील वीडियो और 2014 में नैतिक पुलिस के विरोध 'किस ऑफ़ लव' ने इस तरह के पोस्टों की जांच करना कठिन बना दिया है ।

      Kiss of love campaign
      https://hindi.boomlive.in/viral-fake-facebook-post-turns-jnu-student-in-her-20s-into-a-43-year-old/

      Tags

      Delhidelhi policeFacebook groupFAKE NEWSFeaturedINDIAJAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITYJNUlathi chargeStudents protest
      Read Full Article
      Claim :   ग़लत सूचना फैलाता फ़ेसबुक ग्रुप
      Claimed By :  Facebook group
      Fact Check :  FALSE
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