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      फैक्ट चेक

      फैक्ट चेक: सुप्रीम कोर्ट ने नहीं बताया वक्फ की संपत्तियों को अवैध

      बूम ने पाया कि मूल न्यूज आर्टिकल और सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के बारे में नहीं है.

      By -  Ritika Jain
      Published -  22 Jan 2025 2:39 PM IST
    • Listen to this Article
      Did Supreme Court declare Waqf properties illegal?
      CLAIMलीगल न्यूज पोर्टल 'लाइव लॉ' के एक न्यूज आर्टिकल का स्क्रीनशॉट वायरल है, जिसके साथ दावा किया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड और इन जैसी संस्थाओं की सभी संपत्तियों को अवैध और अमान्य करार दिया है.
      FACT CHECKबूम ने फैक्ट चेक में पाया कि मूल स्टोरी में वक्फ बोर्ड का कोई जिक्र नहीं है. स्टोरी में सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले का जिक्र किया गया है, वह वक्फ की संपत्ति से संबंधित नहीं है.

      सोशल मीडिया पर लीगल न्यूज पोर्टल 'लाइव लॉ' के एक क्रॉप्ड न्यूज आर्टिकल का स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है, जिसके साथ दावा किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में वक्फ बोर्ड के स्वामित्व वाली संपत्तियों को अवैध और अमान्य करार दिया है.

      बूम ने पड़ताल में पाया कि वायरल स्क्रीनशॉट के साथ किया जा रहा दावा गलत है. मूल आर्टिकल में वक्फ बोर्ड की संपत्ति को लेकर ऐसा कोई उल्लेख नहीं है.

      वक्फ बोर्ड के कामकाज और उसकी शक्तियां फिलहाल जांच के दायरे में हैं. भारतीय जनता पार्टी ने अगस्त 2024 में संशोधन विधेयक पेश करके इसमें बदलाव की मांग की है. इस संशोधन में बोर्ड के कामकाज में जवाबदेही और पारदर्शिता के माध्यम से बदलाव लाने का प्रस्ताव रखा गया है.

      हालांकि मुस्लिम धार्मिक संस्थानों ने इसकी आलोचना की है. उनका मानना है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है.

      वक्फ क्या है?

      भारत में इस्लाम को मानने वाले परोपकार या धार्मिक उद्देश्य के लिए संपत्ति दान करते हैं, तो उसे वक्फ कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि दान की गई संपत्ति के मालिक 'अल्लाह' हैं. एक बार अल्लाह के नाम पर की गई संपत्ति दोबारा वापस नहीं ली जा सकती.

      हर राज्य में एक वक्फ बोर्ड होता है, जो वक्फ की गई संपत्तियों की रिकवरी, ट्रांसफर और प्रबंधन आदि का काम देखता है.

      वर्तमान में संसद की संयुक्त समिति इसकी जांच कर रही है. यदि यह प्रस्ताव पारित हो जाता है तो महिला सदस्यों के लिए भी वक्फ बोर्ड के दरवाजे खुल जाएंगे.

      वायरल स्क्रीनशॉट की खबर अंग्रेजी में है. खबर की हेडलाइन में सुप्रीम कोर्ट के हवाले से लिखा गया है, "जब तक बिक्री विलेख पंजीकृत नहीं हो जाता, अचल संपत्ति का स्वामित्व हस्तांतरित नहीं किया जाता."

      इस स्क्रीनशॉट को वक्फ बोर्ड जोड़कर शेयर किया जा रहा है. दावे में इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट का मास्टरस्ट्रोक बताते हुए लिखा गया कि 'इस ऐतिहासिक फैसले से वक्फ बोर्ड और अन्य द्वारा अवैध रूप से दावा की गई पूरी संपत्ति अब अमान्य हो गई.'


      पोस्ट का आर्काइव लिंक.

      फैक्ट चेक

      बूम ने पाया कि लाइव लॉ द्वारा प्रकाशित की गई पूरी स्टोरी में वक्फ बोर्ड की किसी भी संपत्ति को लेकर ऐसा कोई उल्लेख नहीं किया गया है. स्टोरी में जिस फैसले का जिक्र है वह वक्फ बोर्ड या वक्फ बोर्ड की संपत्तियों से संबंधित नहीं है.

      यह रिपोर्ट लाइव लॉ की वेबसाइट पर 8 जनवरी 2025 को प्रकशित की गई थी. रिपोर्ट में संजय शर्मा और कोटक महिंद्रा बैंक से संबंधित एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की चर्चा की गई है.

      लाइव लॉ ने इसमें बताया कि यह मामला सार्वजनिक रूप से नीलाम की गई संपत्ति से जुड़ा था. रिपोर्ट के मुताबिक इस संदर्भ में कोर्ट ने कहा था, "जब तक बिक्री विलेख (सेल डीड) रजिस्टर्ड नहीं हो जाता, तब तक अचल संपत्ति का मालिकाना ट्रांसफर नहीं होता. केवल कब्जे का हस्तांतरण और भुगतान से स्वामित्व ट्रांसफर नहीं होती. उसके लिए सेल डीड का रजिस्ट्रेशन आवश्यक है."


      बूम ने पुष्टि के लिए इस मामले में शामिल वकीलों में से एक आरसी कौशिक से संपर्क किया. उन्होंने बूम को बताया कि इस फैसले से वक्फ बोर्ड या उसके स्वामित्व वाली किसी भी संपत्ति का कोई संबंध नहीं है.

      कौशिक ने कहा, "यह एक सामान्य कमर्शियल डिस्प्यूट का मामला है. इसमें SARFAESI अधिनियम और निजी पक्षों के बीच लैंड की नीलामी शामिल है. इसका वक्फ से कोई संबंध नहीं है."

      हमने वरिष्ठ अधिवक्ता शिखिल सूरी से भी बात की. शिखिल ने बूम को बताया, "सुप्रीम कोर्ट के फैसले में उल्लेखित कानून और वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले कानून पूरी तरह से अलग-अलग हैं. इनका एक दूसरे से कोई संबंध नहीं है."

      स्क्रीनशॉट में मेंशन फैसले का वायरल दावे से कोई संबंध नहीं है

      बूम ने सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर वायरल फैसले की कॉपी भी पढ़ी. हमने पाया कि कोर्ट ने 10 दिसंबर 2024 को इसे पारित किया था.

      17 पन्ने के इस फैसले में कहीं भी वक्फ बोर्ड या वक्फ संपत्ति से जुड़े मामले का विवरण नहीं है और न ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित अंतिम आदेश में इसका उल्लेख नहीं किया गया है. फैसले में "अमान्य और शून्य" जैसे वाक्यों का भी उल्लेख नहीं है जैसा कि वायरल दावे में कहा गया है.

      हमने इसकी भी पुष्टि की कि यह मामला SARFAESI एक्ट के इर्द-गिर्द घूमता है. SARFAESI बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को कोर्ट जाए बिना सुरक्षा लागू करने का अधिकार देकर ऋणों की वसूली में मदद करता है.

      Tags

      Supreme CourtWaqf BoardFalse claimFact Check
      Read Full Article
      Claim :   सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ के स्वामित्व वाली संपत्तियों को अवैध और अमान्य करार दिया है.
      Claimed By :  Facebook & X User
      Fact Check :  False
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