पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाने के गलत दावे से गैंगस्टर की परेड का वीडियो वायरल
भोपाल पुलिस ने बूम को बताया कि वीडियो में दिख रहे गैंगस्टर और उसके साथियों को उनकी आपराधिक गतिविधियों के लिए गिरफ्तार किया गया है, न कि 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाने के लिए.



भारत और पाकिस्तान के बीच जारी सैन्य तनाव से जोड़कर पुलिस द्वारा कुछ लोगों की पिटाई एवं परेड का एक वीडियो वायरल है. वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि भारत-पाक तनाव के बीच समुदाय विशेष के कुछ लोगों ने पाकिस्तान का समर्थन करते हुए पाकिस्तान जिंदाबद के नारे लगाए. इसके बाद भोपाल पुलिस ने कार्रवाई करते हुए सड़क पर उनकी परेड निकाल दी.
बूम ने जांच में पाया कि वायरल दावा झूठा है. यह वीडियो एक गैंग से जुड़े सदस्यों का है. कार्रवाई के दौरान पुलिस ने इनकी सार्वजनिक परेड निकाली थी. भोपाल पुलिस ने भी इस तथ्य की पुष्टि करते हुए वायरल दावे का खंडन किया है.
एक न्यूज फेसबुक पेज पर वायरल वीडियो को शेयर करते हुए लिखा गया है, "भोपाल में पुलिस ने निकाला जुबैर मौलाना और उसके छर्रों का जुलूस... पाकिस्तान जिंदाबाद नारे लगा रहे थे, प्रधानमंत्री को गालियां दे रहे थे."
एक्स पर भी यह वीडियो इसी दावे के साथ वायरल है. आर्काइव लिंक
फैक्ट चेक
वायरल वीडियो की जांच के लिए हमने वीडियो के कीफ्रेम को रिवर्स इमेज सर्च किया. सर्च के दौरान हमें वायरल वीडियो के विजुअल वाली दैनिक भास्कर की रिपोर्ट मिली.
रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल पुलिस ने 9 मई 2025 को गैंगस्टर जुबैर मौलाना और उसके 3 सहयोगियों को गोलीबारी, अराजकता और तोड़फोड़ के आरोप में गिरफ्तार किया था. पुलिस ने गिरफ्तार किए गए चारों आरोपियों को सार्वजनिक रूप से परेड कराई और पीटा.
10 मई को टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी इस घटना से संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित की थी.
न्यूज18 छत्तीसगढ़ ने भी उक्त घटना पर वीडियो रिपोर्ट प्रसारित की थी. किसी भी रिपोर्ट में आरोपियों द्वारा पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाने की बात नहीं की गई है.
हमने घटना की जांच में शामिल भोपाल की मंगलवाड़ा पुलिस से संपर्क किया. बूम से बातचीत में एसएचओ अजय कुमार सोनी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों को पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने के आरोप में नहीं पीटा गया.
आगे उन्होंने कहा, "इस घटना का 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे से कोई संबंध नहीं है और यह दावा झूठा है. गैंगस्टर जुबैर के खिलाफ मंगलवाड़ा और अन्य पुलिस थानों में मामले दर्ज हैं... स्थानीय लोगों में से आरोपियों का डर खत्म करने के लिए उनकी सार्वजनिक परेड कराई गई थी."