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      फैक्ट चेक

      क्या ममता बनर्जी ने काजी नज़रुल इस्लाम को महाभारत का रचियता बताया? फ़ैक्ट चेक

      बूम ने जांच में पाया कि ममता बनर्जी ने काज़ी नज़रुल इस्लाम को महाभारत का लेखक नहीं बताया था, बल्कि उन्होंने महाभारत बोलने के बाद उनके द्वारा लिखी गई कुछ पंक्तियां सुनाई थी.

      By -  Runjay Kumar & Srijit Das
      Published -  31 Aug 2023 4:52 PM IST
    • Listen to this Article
      क्या ममता बनर्जी ने काजी नज़रुल इस्लाम को महाभारत का रचियता बताया? फ़ैक्ट चेक

      पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का एक वीडियो क्लिप इस दावे से वायरल हो रहा है कि उन्होंने प्रसिद्ध बंगाली कवि काज़ी नजरुल इस्लाम को महाभारत का रचियता बता दिया. मेघ अपडेट्स समेत कई दक्षिणपंथी X हैंडल ने वायरल दावे से इस वीडियो को शेयर किया है. इसके अलावा कई न्यूज़ आउटलेट्स ने भी यह दावा अपनी रिपोर्ट्स में शेयर किया है.

      हालांकि, बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा फ़र्ज़ी है. लंबे वीडियो में ममता बनर्जी काज़ी नज़रुल इस्लाम को महाभारत का लेखक नहीं, बल्कि उनके द्वारा लिखी गई कुछ पंक्तियां उच्चारित कर रही थीं.

      वायरल वीडियो 6 सेकेंड का है. वीडियो में ममता बनर्जी बंगाली में बोलती हुई सुनाई दे रही हैं, जिसका हिंदी अनुवाद है, “महाभारत नज़रुल इस्लाम ने लिखी थी”.

      इसी वीडियो के आधार पर टाइम्स नाउ, ज़ी न्यूज़, फ्री प्रेस जर्नल और रिपब्लिक भारत ने अंग्रेज़ी रिपोर्ट में वायरल दावे को प्रकाशित किया है.

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      वहीं लाइव हिंदुस्तान, लोकमत, न्यूज़ 18 इंडिया ने वायरल दावे से जुड़ी रिपोर्ट हिंदी में प्रकाशित की है. इसके अलावा दक्षिणपंथी वेबसाइट ऑपइंडिया और पांचजन्य ने भी वायरल दावा अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया है.



      इसके अलावा कई दक्षिणपंथी हैंडल्स ने भी वायरल दावे वाले कैप्शन के साथ ममता बनर्जी के इस वीडियो क्लिप को अपने X अकाउंट से शेयर किया है, जिसे आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.




      फ़ैक्ट चेक

      बूम ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए सबसे पहले संबंधित कीवर्ड से गूगल सर्च किया. तो हमें वायरल दावे वाली कुछ न्यूज़ रिपोर्ट्स मिली. इन रिपोर्टों में दावा किया गया था कि ममता बनर्जी ने उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस की छात्र ईकाई तृणमूल छात्र परिषद् के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में यह बयान दिया था.

      इसलिए हमने उस कार्यक्रम से जुड़े वीडियो खंगालने शुरू किए, तो हमें ममता बनर्जी के आधिकारिक फ़ेसबुक पेज पर 28 अगस्त 2023 को लाइव किया गया एक वीडियो मिला. इस वीडियो में तृणमूल छात्र परिषद् के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में ममता बनर्जी के द्वारा दिया गया पूरा भाषण मौजूद था.



      इस वीडियो के 38 मिनट 52 सेकेंड पर हमें वायरल वीडियो वाला हिस्सा मिला. लेकिन जब हमने करीब 37 मिनट से लेकर 40 मिनट तक वाले हिस्से को ध्यानपूर्वक देखा और सुना तो पाया कि ममता बनर्जी ने यह नहीं कहा कि नज़रुल इस्लाम ने महाभारत लिखी थी. बल्कि पहले उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को कई सारे लेखकों एवं महाभारत पढ़ने का सुझाव दिया. इसके बाद उन्होंने क़ाज़ी नजरुल इस्लाम के द्वारा लिखी गई एक कविता की दो पंक्तियां पढ़ी.

      क़रीब 38 मिनट 27 सेकेंड से ममता बनर्जी बंगाली में कहती हुई सुनाई दे रहीं हैं, जिसका हिंदी अनुवाद है, “मैं आप लोगों से कहना चाहती हूं कि आप लोग रवीन्द्रनाथ टैगोर को पढ़ें और जानें, विवेकानंद को को पढ़ें और जानें, नजरुल को पढ़ें और जानें, बिरसा मुंडा को पढ़ें और जानें, रघुनाथ मुर्मू को पढ़ें और जानें, मातुआ ठाकुर को पढ़ें और जानें, राजवंशी के पंचानन बर्मा को पढ़ें और जानें”. इसके बाद वे महाभारत का जिक्र करने के तुरंत बाद कहती हैं कि नजरुल इस्लाम ने लिखा है “कुरान, पुराण, वेद, वेदांता, बाइबिल, त्रिपिटक, ग्रंथ साहिब, जेंद अवेस्ता, जितना पढ़ना चाहें पढ़ें. इसके बाद उन्होंने काज़ी नजरुल इस्लाम की एक और कविता की कुछ पंक्तियां पढ़ीं.

      जांच में हमने यह भी पाया कि ममता बनर्जी ने महाभारत के बाद काज़ी नजरुल इस्लाम के द्वारा लिखी गई जिन पंक्तियों का जिक्र किया था, वह उनके द्वारा लिखी गई प्रसिद्ध कविता ‘साम्यवादी’ में दर्ज है. आप यह कविता पश्चिम बंगाल सरकार के आईटी मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किए गए पीडीएफ के पेज नंबर 250 पर पढ़ सकते हैं.

      विद्रोही कवि काज़ी नजरुल इस्लाम का जन्म साल 1899 में बंगाल के आसनसोल जिले में हुआ था. उनका पारिवारिक माहौल काफ़ी धार्मिक था. दीन के साथ ही उन्होंने साहित्य और संगीत की भी शिक्षा ली थी. उन्होंने हिंदू पौराणिक कथाओं पर आधारित कई नाटक भी लिखे. इसके बाद उन्होंने साल 1917 में 49 वां बंगाल रेजिमेंट ज्वाइन किया और कराची चले गए. फ़ौज में शामिल होने के बाद भी उनकी साहित्यिक यात्रा नहीं रूकी. साल 1922 में जब विद्रोही स्वर वाली कविता लिखने के लिए नज़रुल इस्लाम को गिरफ़्तार किया गया तो उन्होंने माफ़ी मांगने से साफ़ इनकार कर दिया. इसके बाद उन्हें डेढ़ साल के लिए जेल भेज दिया गया. जेल में रहकर भी उन्होंने कई साहित्य की रचना की.

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      False claimEdited videoFact CheckMamata Banerjee
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      Claim :   ममता बनर्जी ने काज़ी नजरुल इस्लाम को महाभारत का लेखक बताया
      Claimed By :  News Outlets and verified x accounts
      Fact Check :  False
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