फैक्ट चेक: सड़क पर सोते शख्स को सूंघकर जाते शेर का वीडियो असली नहीं है
बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि यह वीडियो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बनाया गया है.

सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो खूब वायरल है, जिसमें एक शेर सुनसान सड़क पर सोते हुए आदमी को सूंघकर जाता दिख रहा है. हालांकि वह उसको कोई नुकसान नहीं पहुंचा रहा.
बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि वायरल वीडियो फर्जी है. इसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से क्रिएट किया गया है.
सोशल मीडिया पर क्या है वायरल?
एक्स और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यूजर शेर वाले वीडियो को असली मानकर शेयर कर रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि भारत में सड़क पर सो रहा एक व्यक्ति शेर का शिकार होने से बच गया. (आर्काइव लिंक)
वहीं कुछ यूजर कैप्शन में वीडियो को गुजरात का बता रहे हैं. (आर्काइव लिंक)
पड़ताल के दौरान क्या मिला:
बूम ने वीडियो को गौर से देखा और इसकी पड़ताल की तो पाया कि यह वास्तविक नहीं है. इसे एआई की मदद से बनाया गया है.
वीडियो में दिख रही दुकानों के साइनबोर्ड की लिखावट और उसकी भाषा बिलकुल अस्पष्ट है. साथ ही इसमें सो रहे आदमी की बनावट भी असली नहीं लगती.
वीडियो के साथ Altered content का टैग
रिवर्स इमेज सर्च की मदद से हमें The world of beasts नाम के यूट्यूब चैनल पर 6 जून का अपलोड किया गया यह वीडियो मिला. हालांकि इसके पुर्तगाली कैप्शन में इसे गुजरात का बताते हुए लिखा गया था कि शेर ने सड़क पर सो रहे एक व्यक्ति को पाया.
इसके डिस्क्रिप्शन के नीचे Altered or Synthetic कंटेंट का टैग था, जिसका मतलब है कि वीडियो का विजुअल या इसकी आवाज एडिटेड है या फिर इन्हें डिजिटली क्रिएट किया गया है.
The world of beasts नाम के इस यूट्यूब चैनल को स्कैन करने पर हमने पाया कि यहां कई डिजिटली क्रिएटेड वीडियो शेयर किए गए हैं. चैनल ने अपने डिस्क्रिप्शन में भी स्पष्ट रूप से बताया है कि ये वीडियो AI के इस्तेमाल से बनाए जाते हैं.
वीडियो एआई जनरेटेड है
बूम ने पुष्टि के लिए डीपफेक एनालिसिस यूनिट (डीएयू) में अपने सहयोगियों के जरिए इस वीडियो की पड़ताल की. डीएयू ने इसके विश्लेषण के लिए वीडियो को कीफ्रेम में बांटा और उन्हें कई एआई इमेज डिटेक्शन टूल पर टेस्ट किया.
एआई इमेज डिटेक्शन टूल Wasitai ने इन फ्रेम के जनरेटिव एआई के इस्तेमाल से बनाए जाने की प्रबल संभावना व्यक्त की. डिटेक्शन टूल AI or Not ने भी इसके महत्वपूर्ण हिस्से को एआई जनरेटेड बताया.
डीएयू ने इसका विश्लेषण करते हुए बताया कि जब वीडियो की गुणवत्ता कम होती है या जानबूझकर सीसीटीवी फुटेज की तरह वीडियो को डिजाइन किया जाता है, तो ऐसे में जनरेटिव एलिमेंट के सबूत को विश्वसनीय रूप से खोज पाना मुश्किल होता है. हालांकि वीडियो में इसका सबसे बड़ा संकेत साइनबोर्ड पर लिखे एल्फाबेट का अरेंजमेंट और बनावट है.
निष्कर्ष:
बूम अपने फैक्ट चेक में पाया कि सुनसान सड़क पर घूमते शेर का यह वीडियो वास्तविक नहीं, एआई जनरेटेड है.