पीएम मोदी और जयशंकर के पाकिस्तान से माफी मांगने के दावे से AI वीडियो वायरल
बूम ने पाया कि भारतीय प्रधानमंत्री एवं अन्य मंत्रियों द्वारा हार स्वीकार करने और पाकिस्तान से माफी मांगने के वीडियो एआई जनरेटेड डीपफेक हैं.



भारत और पाकिस्तान के बीच जारी सैन्य संघर्ष के बीच सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और गृह मंत्री अमित शाह के पाकिस्तान से माफी मांगने और हार स्वीकार करने के डीपफेक वीडियो वायरल हैं.
बूम को वीडियो में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से हेरफेर किये जाने के सबूत मिले. विभिन्न डीपफेक डिटेक्शन टूल्स ने वीडियो के एआई जनित होने की प्रबल संभावना बताई है.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई और भारत-पाकिस्तान सीमा पर लगातार जारी संघर्ष की खबरों के बीच ये वीडियो वायरल हैं. दोनों देशों ने 10 मई की शाम को संघर्ष विराम समझौता किया था.
वायरल वीडियो में नरेंद्र मोदी, एस जयशंकर और अमित शाह को हार स्वीकार करते हुए और ऑपरेशन सिंदूर के लिए पाकिस्तान से माफी मांगते हुए दिखाया गया है.
एक सोशल मीडिया यूजर्स ने इन वीडियो को उर्दू कैप्शन के साथ शेयर किया है, जिसका हिंदी अनुवाद है, "ऑपरेशन बनयान अल मरसूस" के असर से मोदी का रोना चालू हो गया है, क्या हमें मोदी की माफी स्वीकार कर लेनी चाहिए?"
आर्काइव पोस्ट यहां, यहां और यहां देखें.
उर्दू कैप्शन से सर्च करने पर हमें ज्ञात हुआ कि यूजर्स भारतीय नेताओं के इन डीपफेक वीडियो को वास्तविक मानकर शेयर कर रहे हैं.
फैक्ट चेक
बूम ने जांच में पाया कि तीनों ही वायरल वीडियो डीपफेक हैं. हमें अपनी जांच में कोई भी मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली जो पीएम नरेंद्र मोदी और अन्य दो नेताओं द्वारा माफी मांगने और पाकिस्तान से हार स्वीकार करने के दावे की पुष्टि करती हो.
हमने तीनों वीडियो का बारीकी से विश्लेषण किया. हमने पाया कि इन वीडियो में कई विसंगतियां मौजूद हैं जो सामन्यतः एआई जनरेटेड वीडियो में पाई जाती हैं. वीडियो में इन नेताओं की आवाज सामान्य आवाज से ज्यादा तीव्र है. नेताओं द्वारा शब्दों का उच्चारण और बोलने की शैली उनकी आम शैली से बेहद अलग और अप्राकृतिक है. इसके अलावा उनकी आवाज और बोलने के दौरान होंठों की गति का तालमेल भी मैच नहीं कर रहा है.
आगे अपनी जांच में हमने तीनों ही वीडियो को Hive Moderator के AI वीडियो डिटेक्टर टूल पर अपलोड किया. टूल ने तीनों ही वीडियो के एआई जनरेटेड होने की प्रबल संभावना बताई है.
हमने तीनों वीडियो से ऑडियो को अलग कर Deepfake o Meter पर भी चेक किया. यह टूल University at Buffalo के मीडिया फोरेंसिक लैब द्वारा डेवलप किया गया है. इसके अधिकांश एआई ऑडियो डिटेक्शन मॉडल ने इन आवाजों के एआई-जनरेटेड होने की प्रबल संभावना बताई है.